तुम्हारे साथ जीना था
गलियारों के आशिक को छेड़,
बूढ़ी औरतों को सता
बचपन की अठखेलियों से लेकर
बुढ़ापे का सुकून बाटना था।
हर दर्द को हँसी में उड़ा
ज़िन्दगी के मज़े लूटते हुए
समाज की तानाशाही को दरकिनार कर
अपने सपनों कि उड़ान भरके
भगवान से भी भिड़ जाना था।
हमें तुम्हारे साथ जीना था।
गहराई में छिपे दर्द के अंधेरों को
तुम्हारे साथ कि रौशनी से मिटाना था।
उन हँसीन लम्हों की मार्मिक खुशी को
बाँट तुम्हारे साथ खिलखिलाकर हँसना था।
हो खास तुम हमारे लिए
लम्हों में छिपे हर रास की लीला
का आनंद साथ लिए जाना था।
है प्यार इसकदर तुमसे
ये खुलकर बताना था।
जो खोया है फिर ना मिला
जो मिला उसे पाकर मैंने खोया है।
दिल में छिपे दर्द को एक बार
खुलकर बाहर लाना था,
कुछ पल हमें और तुम्हारे साथ बिताना था।
Amazed by the beauty of words.
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