चाँद से पूछ लो
उनके घर का रास्ता
हमने अंधेरों में रैन बसा लिया है।
ज़रूरत पड़े तो भोर का इंतज़ार कर लेना।
हमने अपना रास्ता बदल लिया है।
ना गलियां अब याद रही ना वो।
खूब देखा हमने अंजाम त्याग का,
आज उन्हें त्याग आगे बढ़े हैं।
अब मंज़िल भी नई है और रास्ता भी।
बहुत चल लिए सहारे उनके साथ,
अब खुद के साथ खुशहाल आगे बढ़ना सीख लिया है।
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